उत्तर प्रदेश : सपा विधायक नितिन अग्रवाल ने भाजपा के समर्थन से विधानसभा उपाध्यक्ष का चुनाव जीता

कांग्रेस और बसपा ने विधानसभा उपाध्यक्ष के चुनाव में मतदान का बहिष्कार किया था

भाजपा समर्थित सपा के बागी विधायक नितिन अग्रवाल सोमवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष चुन लिए गए हैं. अग्रवाल ने सपा के अधिकृत उम्मीदवार नरेंद्र वर्मा को 244 वोटों के भारी अंतर से मात दी. सोमवार को विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में उपाध्यक्ष पद के चुनाव के लिए मतदान किया गया.

इसके परिणाम का एलान विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने की. उन्होंने बताया कि कुल 368 सदस्यों ने मतदान किया था. इसमें से 364 मत वैध पाए गए. इन वैध मतों में से नितिन अग्रवाल को 304 और नरेंद्र वर्मा को 60 वोट मिले. विधानसभा के अध्यक्ष ने नितिन अग्रवाल को उपाध्यक्ष चुने जाने पर बधाई दी. उन्होंने कहा कि संसदीय परिपाटी में उपाध्यक्ष चुने जाने की व्यवस्था हमारे संविधान में की गई है.

हालांकि, साल 2007 से ही यह पद खाली था. इससे पहले भाजपा के राजेश अग्रवाल साल 2004 में विधानसभा उपाध्यक्ष के पद पर निर्वाचित हुए थे. उनका कार्यकाल 2007 में खत्म हो गया था. उत्तर प्रदेश विधासभा की परंपरा के मुताबिक प्रमुख विपक्षी दल के एक विधायक को विधानसभा का उपाध्यक्ष बनाया जाता है. लेकिन इस बार प्रमुख विपक्षी पार्टी के बागी विधायक को उपाध्यक्ष चुना गया है.

वहीं, 40 वर्षीय नवनिर्वाचित उपाध्यक्ष नितिन अग्रवाल ने कहा कि वह सदन के कामकाज में सभी सदस्यों को साथ लेकर चलेंगे. सपा के बागी विधायक और पूर्व मंत्री नितिन अग्रवाल राज्य के पूर्व मंत्री नरेश अग्रवाल के बेटे हैं, जिन्होंने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सपा छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था.

चुनाव परिणाम सामने आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नितिन अग्रवाल को बधाई दी. उन्होंने कहा कि वे एक युवा का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन विपक्ष पिछले साढ़े चार साल में एक युवा चेहरे को सामने नहीं ला सका. अपने विधायक का समर्थन न करने को आधार बनाते हुए आदित्यनाथ ने सपा को युवा विरोधी बताया.

अगले साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव होना है. विधानसभा चुनाव से पहले इस चुनाव का एक प्रतीकात्मक महत्व था. इसमें भाजपा और सपा ने मतदान में हिस्सा लिया. वहीं, कांग्रेस और बसपा ने मतदान का बहिष्कार किया. इससे यह साफ हो गया कि आने वाले विधानसभा चुनाव में सभी पार्टियां अलग-अलग लड़ेंगी. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पहले ही एलान कर दिया है कि उनकी पार्टी का किसी बड़े राजनीतिक दल से समझौता नहीं होगा. हालांकि, सपा के दरवाजे छोटे दलों के लिए खुले रखने की बात उन्होंने की है.

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