जीतनराम मांझी ने केंद्रीय मंत्री सहित पांच सांसदों पर फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर लोकसभा पहुंचने का आरोप लगाया

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने दावा कि नौकरियों और स्थानीय निकाय चुनावों में कुल सुरक्षित सीट के 15 से 20 फीसदी पर अन्य लोग फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर फायदा उठा लेते हैं

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने आरोप लगाया कि एक केंद्रीय मंत्री सहित पांच सांसद अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सीटों से फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर निर्वाचित हुए हैं. उन्होंने इसकी जांच कराने की मांग की है. बुधवार को हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) की नई दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मांझी ने कहा कि केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल और जे शिवाचार्य महास्वामीजी (दोनों भाजपा सांसद), कांग्रेस सांसद मोहम्मद सादिक, तृणमूल कांग्रेस की अपरूपा पोद्दार और निर्दलीय सांसद नवनीत रवि राणा फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर निर्वाचित हुए हैं.

वहीं, ‘हम’ (एस) पार्टी प्रमुख मांझी के इस आरोप पर संबंधित सांसदों की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. हालांकि, मांझी ने जिन सांसदों पर आरोप लगाए हैं, उनमें से अधिकांश ने इन आरोपों को पहले ही खारिज कर दिया था. उधर, केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल के एक सहयोगी ने बताया कि उनकी जाति उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति की सूची में अधिसूचित है, जहां से वे निर्वाचित हुए हैं. वहीं, बॉम्बे हाईकोर्ट ने निर्दलीय सांसद नवनीत रवि राणा के जाति प्रमाणपत्र को रद्द कर दिया था. हालांकि, जून में सुप्रीम कोर्ट ने राणा को राहत देते हुए हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी.

इसके अलावा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा कि नौकरियों और स्थानीय निकाय चुनावों में कुल सुरक्षित सीट के 15 से 20 फीसदी पर अन्य लोग फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर फायदा उठा लेते हैं. मांझी ने हर किसी के लिए एक साझा स्कूलिंग प्रणाली और दलितों के लिए अलग मतदाता सूची की मांग की.

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