चिराग पासवान ने ‘लोजपा’ के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की

चुनाव आयोग ने बिहार उप चुनाव के लिए लोजपा के दोनों ही गुटों को नए नाम और चुनाव चिह्न आवंटित किए हैं

बिहार में लोजपा के चिराग पासवान गुट ने उप चुनाव में लोकजन शक्ति पार्टी (राम विलास) और हेलिकॉप्टर चुनाव चिह्न मिलने पर खुशी जाहिर की है. गुट के नेता अब्दुल खालिद ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘हम लोग पार्टी के नए नाम से खुश हैं, क्योंकि यह पार्टी के पुराने नाम और इसके संस्थापक से जुड़ा हुआ है. हमारा अगला लक्ष्य दोनों सीटों (कुशेश्वरस्थान और तारापुर) पर चुनाव लड़ना और जीत हासिल करना है.’

वहीं, गुट के प्रवक्ता अजय कुमार पाण्डेय ने बताया कि चिराग पासवान ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से मांग की है कि पशुपति कुमार पारस और उनके साथ के अन्य सांसदों से लोजपा नाम के इस्तेमाल पर रोक लगाई जाए. इसके अलावा चिराग ने लोक सभा वेबसाइट और अन्य सरकारी रिकॉर्डों में भी नाम बदले जाने की मांग की है.”

यह भी पढ़ें : क्यों उपचुनाव में ‘बंगला’ नहीं दिखने की वजह पारस गुट के लिए चुनाव आयोग की नरमी दिख रही है

दूसरी ओर, चुनाव आयोग ने पारस गुट को राष्ट्रीय लोकजन शक्ति पार्टी (आरएलएसपी) नाम और सिलाई मशीन चुनाव चिह्न आवंटित किया है. इस पर श्रवण अग्रवाल ने कहा है, ‘राम विलास पासवान का नाम नहीं मिलने पर भी हमलोग उनकी विरासत को आगे बढ़ाएंगे, क्योंकि चिराग दलित हित के लिए काम नहीं कर रहे हैं.’

इससे पहले चुनाव आयोग ने चार अक्टूबर को एक अंतरिम आदेश जारी कर बिहार उप चुनाव में दोनों गुटों पर लोजपा का नाम और चुनाव चिह्न (बंगला) के इस्तेमाल करने से मना कर दिया था. हालांकि आयोग ने कहा था कि दोनों गुट पार्टी से जुड़ता हुआ कोई नाम और अपनी पसंद का चुनाव चिह्न चुन सकते हैं. इसके बाद दोनों गुट ने चुनाव आयोग से लोजपा (रामविलास पासवान) नाम की मांग की, जिसे खारिज कर दिया गया.

बिहार की दो विधानसभा सीटों- कुशेश्वरस्थान और तारापुर पर उप चुनाव हैं. इसके लिए 30 अक्टूबर को मतदान की तारीख का एलान किया गया है. इसके नतीजे दो नवंबर को घोषित किए जाएंगे.

इससे पहले 2020 के विधानसभा चुनाव में कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीट (सुरक्षित) पर जदयू के शशिभूषण हजारी और तारापुर सीट पर जदयू के ही मेवालाल चौधरी ने जीत हासिल की थी. लेकिन 19 अप्रैल, 2021 को कोरोना के चलते मेवालाल चौधरी और 1 जुलाई, 2021 को खराब स्वास्थ्य की वजह से शशिभूषण हजारी की मौत के बाद विधानसभा की दोनों सीटें खाली हुई हैं.

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