उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव-2022 के पहले नेताओं और कार्यकर्ताओं के दल बदलने का सिलसिला जारी है. रविवार को बसपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा और मुजफ्फरनगर से पूर्व सांसद कादिर राणा सपा में शामिल हो गए. इस दौरान पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव भी मौजूद थे. कादिर राणा ने साल 2009 के लोकसभा चुनाव में बतौर बसपा उम्मीदवार जीत दर्ज की थी. उन पर मुजफ्फरनगर दंगों (2013) में शामिल होने का आरोप था.
सपा का बढ़ता कारवां!
माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष जी के नेतृत्व में आस्था जताते हुए बसपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष श्री आर एस कुशवाहा जी अपने समर्थकों के साथ समाजवादी पार्टी में हुए शामिल।
आपका हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन। pic.twitter.com/5AhGTgnlAN
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) October 17, 2021
वहीं, बसपा के वरिष्ठ नेता और शिवपुर के पूर्व विधायक उदय लाल मौर्य ने भी रविवार को सपा का दामन थाम लिया है. उन्होंने अपने समर्थकों के साथ पार्टी की सदस्यता ली है. इनके अलावा सपा में शामिल होने वालों में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी भी शामिल हैं. इससे पहले महीने की शुरुआत में बसपा के पूर्व राज्य सभा सांसद वीर सिंह भी सपा में शामिल हुए थे. इस पर बसपा सुप्रीमो ने कई ट्वीट कर सपा पर निशाना साधा था.
सपा का बढ़ता कारवां!
माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष जी के नेतृत्व में आस्था जताते हुए बसपा के वरिष्ठ नेता एवं शिवपुर से पूर्व विधायक श्री उदय लाल मौर्य जी अपने समर्थकों के साथ समाजवादी पार्टी में शामिल हुए।
आपका हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन। pic.twitter.com/qSY8IwmizP
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) October 17, 2021
मायावती ने कहा था, ‘दूसरी पार्टियों के स्वार्थी, टिकटार्थी व निष्कासित लोगों को सपा में शामिल कराने से इनकी पार्टी का कुनबा व जनाधार आदि बढ़ने वाला नहीं है. यह केवल खुद को झूठी तसल्ली देने व अपनी पार्टी से संभावित भगदड़ को रोकने की कोशिश के अलावा और कुछ नहीं, जनता यह सब खूब समझती है.’
1. दूसरी पार्टियों के स्वार्थी, टिकटार्थी व निष्कासित लोगों को सपा में शामिल कराने से इनकी पार्टी का कुनबा व जनाधार आदि बढ़ने वाला नहीं है। यह केवल खुद को झूठी तसल्ली देनेे व अपनी पार्टी से संभावित भगदड़ को रोकनेे की कोशिश के अलावा और कुछ नहीं, जनता यह सब खूब समझती है।
— Mayawati (@Mayawati) October 3, 2021
उन्होंने आगे कहा था, ‘‘अगर सपा दूसरी पार्टियों के ऐसे लोगों को पार्टी में लेगी तो निश्चय ही टिकट की लाइन में खड़े इनके बहुत लोग भी दूसरी पार्टियों में जाने की राह जरूर तलाशेंगे, जिससे इनका कुनबा व पार्टी का जनाधार बढ़ने वाला नहीं बल्कि हानि ही ज्यादा होगी, किन्तु कुछ अपनी आदत से मजबूर होते हैं.’