बिहार में 30 अक्टूबर को दो विधानसभा सीटों- कुशेश्वर स्थान और तारापुर पर होने वाले उप चुनावों में लोकजन शक्ति पार्टी (लोजपा) के दोनों गुटों– चिराग और पारस को चुनाव चिह्न ‘बंगला’ के बिना उतरना पड़ेगा. इस संबंध में चार अक्टूबर को चुनाव आयोग के अवर सचिव ने एक अंतरिम आदेश जारी किया है. इसके मुताबिक बिहार उप चुनाव में दोनों गुट, पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे. इसकी जगह उन्हें अपने गुट के लिए नाम और चिह्न का चुनाव करना होगा. हालांकि, नए नाम में पार्टी के नाम का इस्तेमाल किया जा सकता है. राज्य के जिन दो सीटों पर उप चुनाव होने हैं, उनमें से कुशेश्वर स्थान अनुसूचित जाति (दलित) के लिए आरक्षित है.
चुनाव आयोग ने यह अंतरिम आदेश चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश-1968 के पैरा 15 के प्रावधानों के आधार पर जारी किया है. इसमें कहा गया है कि चुनाव आयोग उपलब्ध तथ्य और परिस्थितियों के आधार पर फैसला ले सकता है. इस फैसले को प्रतिद्वंदी गुटों के लिए मानना अनिवार्य है.
इससे पहले 14 जून, 2021 को हाजीपुर से सांसद पशुपति कुमार पारस ने चुनाव आयोग के सामने यह दावा किया था कि वे संसद में पार्टी के निर्वाचित नेता है. वहीं 17 जून को सूरजभान सिंह ने आयोग को बताया कि पशुपति कुमार पारस को लोजपा का अध्यक्ष चुन लिया गया है. इसके बाद पारस ने पार्टी की नई कार्यकारिणी समिति के बारे में भी चुनाव आयोग को सूचित किया.
दूसरी ओर, जमुई से सांसद चिराग पासवान ने चुनाव आयोग को अपने पांच पत्रों (दिनांक- 15, 16, 17, 18 जून और 12 जुलाई) के जरिए बताया कि लोजपा ने अपने पांच सांसदों को पार्टी से निष्कासित कर दिया है. इनमें पशुपति कुमार पारस, बीना देवी, एमए कैसर, चंदन सिंह और प्रिंस राज हैं. इनमें आयोग से यह मांग की गई थी कि इन सांसदों के पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न के इस्तेमाल पर रोक लगाई जाए.
इसके बाद 10 सितंबर को एक पत्र के जरिए चिराग पासवान ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने का दावा किया. वहीं, 23 सितंबर को उन्होंने चुनाव आयोग को एक और पत्र लिखा था. इसमें उन्होंने मांग की थी कि आगामी उप चुनाव में अगर पशुपति कुमार पारस पार्टी के नाम और चिह्न पर दावा करते हैं, तो इसे खारिज कर दिया जाए. वहीं, बीते शुक्रवार को चिराग पासवान ने उप चुनाव में नामांकन की आखिरी तारीख (आठ अक्टूबर) को देखते हुए आयोग से जल्द फैसला सुनाने की अपील की थी.
इससे पहले चुनाव आयोग पशुपति कुमार पारस के जवाब देने की अवधि को कई बार आगे बढ़ा चुका है. आयोग के अंतरिम आदेश में इस बात को दर्ज किया गया है कि 10 सितंबर, 2021 को पारस ने इसके लिए दो हफ्ते का समय मांगा था. इसके बाद 23 सितंबर, 2021 को उन्होंने एक बार फिर इसके लिए चार हफ्ते का वक्त मांगा. इस पर चुनाव आयोग ने पशुपति कुमार पारस को एक बार फिर दो हफ्ते का वक्त दिया है. यह अवधि आठ अक्टूबर को खत्म हो रही है.
अब इस अंतरिम आदेश में कहा गया है कि दोनों गुटों को अपने दावों के समर्थन में पांच नवंबर, 2021 को दस्तावेज पेश करने के लिए कहा गया है. यानी पशुपति कुमार पारस को जवाब देने के लिए और अधिक वक्त मिल गया है. पशुपति कुमार गुट अभी केंद्र की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हैं.