भारत ने श्रीलंका में प्रांतीय चुनाव जल्द से जल्द कराए जाने की अपील की है. इस बात की जानकारी श्रीलंका के तमिल नेशनल एलायंस (टीएनए) ने द हिंदू अखबार को दी. टीएनए के प्रवक्ता एमए सुमनथिरान ने कहा, ‘विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने हमें बताया कि उन्होंने श्रीलंकाई सरकार से 13वें संशोधन के साथ प्रांतीय चुनावों को तत्काल कराने की अपील की है.’ इसके अलावा हर्षवर्धन श्रृंगला ने टीएनए से कहा है कि भारत तमिल बहुल उत्तर और पूर्वी हिस्से में किसी तीसरे पक्ष (चीन) की मौजूदगी की सराहना नहीं करेगा. भारत ने तमिल बहुल इन इलाकों में भारी निवेश किया है.
इससे पहले बीते सोमवार को टीएनए ने भारत के विदेश सचिव से मुलाकात की थी. टीएनए श्रीलंका में तमिलों का प्रतिनिधित्व करने वाला सबसे बड़ा समूह है. 225 सदस्यीय श्रीलंकाई संसद में इसके 10 सांसद हैं.
वहीं, एमए सुमनथिरान ने कहा, ‘सरकार ने प्रांतीय चुनाव को कराए जाने को लेकर कुछ कानूनी चुनौतियों की बात की है, लेकिन मैंने विदेश सचिव को बताया कि अटॉर्नी जनरल ने भी कुछ सामान्य संशोधन के साथ चुनावों को कराए जाने का रास्ता साफ कर दिया है.’
Foreign Secretary @harshvshringla had separate and productive meetings with delegations from TNA, TPA and CWC. (1/2)@MEAIndia pic.twitter.com/F4odpeee6Z
— India in Sri Lanka (@IndiainSL) October 4, 2021
1987 में भारत-श्रीलंका समझौते के मुताबिक सभी प्रांतों को राजनीतिक शक्ति देने के लिए प्रांतीय परिषद का कार्यकाल पांच साल निर्धारित किया गया है. लेकिन 2018 और 2019 में खत्म होने के बाद अब तक इन प्रांतों में चुनाव नहीं कराए गए हैं. इन चुनावों को रद्द करने के लिए 2017 में मैत्रीपाला सिरिसेना प्रशासन ने प्रांतीय परिषद चुनाव अधिनियम में संशोधन कर दिया था.
श्रीलंका के संविधान में 13वें संशोधन के जरिए तमिल समुदाय को शक्तियां देने का प्रावधान है. भारत, 1987 में श्रीलंका के साथ हुए समझौते के बाद किए गए 13वें संशोधन को लागू करने पर जोर देता रहा है. हालांकि, सिंहली राष्ट्रवादी पार्टियों के साथ-साथ लिबरेशन टाइगर्स तमिल ईलम (लिट्टे) भी इसका विरोध करता रहा है.