मणिपुर के मुख्यमंत्री ने चुनाव से पहले राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की संभावना को खारिज किया

दो दिन पहले मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह, मंत्री टी विश्वजीत और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ए शारदा को दिल्ली बुलाया गया था

भाजपा शासित राज्य गुजरात और उत्तराखंड में मुख्यमंत्री बदले जाने के बाद अब मणिपुर में भी नेतृत्व बदले जाने की चर्चा है. अगले साल उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और गुजरात के साथ मणिपुर में भी विधानसभा चुनाव है. इनमें गुजरात को छोड़कर बाकी दूसरे राज्यों में फरवरी-मार्च, 2022 में चुनाव हो सकते हैं. वहीं, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में 2022 के आखिर में चुनाव होने हैं.

उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर में सरकार का चेहरा बदले जाने की चर्चाओं के बीच मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह का बयान आया है. उन्होंने एक स्थानीय न्यूज चैनल के साथ बातचीत में कहा है कि मार्च, 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में नेतृत्व परिवर्तन का कोई सवाल ही नहीं है.

हालांकि, इससे पहले एक अक्टूबर को भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं की ओर से मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह, मंत्री टी विश्वजीत और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ए शारदा को दिल्ली का बुलावा आया था. इसके बाद ही राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा जोर पकड़ने लगी. हालांकि, इस बारे में मुख्यमंत्री का कहना है कि चुनावी रणनीति बनाने के लिए राज्य के शीर्ष नेताओं को दिल्ली बुलाया गया था.

वहीं, राज्य के अधिकांश आदिवासी विधायक एन बिरेन सिंह सरकार के खिलाफ दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. बताया जाता है कि राज्य के आदिवासी इस बात से नाराज है कि स्वायत्त निकाय पहाड़ी क्षेत्र समिति की सिफारिश की गई स्वायत्त जिला परिषद विधेयक-2021 को विधानसभा के मानसून सत्र में पेश नहीं किया गया. इसके अलावा आदिवासी छात्र संगठन ‘पहाड़ पर जाएं (गो टू हिल्स) कार्यक्रम का भी विरोध कर रहे हैं.  सरकार का दावा है कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य पहाड़ और घाटी, दोनों का संतुलित विकास करना है. इसके उलट माना जा रहा है कि इससे दोनों के बीच टकराव बढ़ सकता है. मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में आदिवासी रहते हैं, जबकि घाटी में गैर-आदिवासी आबादी की बसावट है.

दूसरी ओर, बीती 22 सितंबर को आदिवासी नेता और सामाजिक कार्यकर्ता अथुआन अबोनमाई के अपहरण और फिर हत्या का मामला भी मुख्यमंत्री के लिए परेशानी का सबब बनता हुआ दिख रहा है. पूर्व मंत्री ओकराम जॉय सिंह ने कहा है कि इस मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की जांच के दौरान एन बीरेन सिंह को पारदर्शिता और त्वरित जांच के इस्तीफा दे  देना चाहिए. इससे पहले एक अक्टूबर को राज्य सरकार के अनुरोध पर गृह मंत्रालय ने इस मामले की एनआईए जांच की मंजूरी दी थी.

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