पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भवानीपुर उप चुनाव रिकॉर्ड वोटों से जीत लिया है. उन्होंने एकतरफा मुकाबले में भाजपा की उम्मीदवार प्रियंका टिबरेवाल को 58,832 मतों से पराजित किया है. टिबरेवाल ने अपनी हार स्वीकार करते हुए ममता बनर्जी को बधाई दी हैं. हालांकि, उन्होंने कहा है कि अगर लोगों को वोट करने दिया जाता तो इसके नतीजे कुछ और ही होते. बीते एक अक्टूबर को हुए भवानीपुर उप चुनाव में 53.32 फीसदी लोगों ने मतदान किया गया था.
I am 'Man of the Match' of this game because I contested the election in Mamata Banerjee's stronghold and got more than 25,000 votes. I will continue doing the hard work: Bhabanipur BJP candidate Priyanka Tibrewal pic.twitter.com/pAiQMutcHi
— ANI (@ANI) October 3, 2021
वहीं, इस भारी जीत के बाद तृणमूल सुप्रीमो ने कहा, ‘हम लोगों ने हरेक और सभी वार्डों में जीत दर्ज की है. मैं लोगों के लिए और अधिक काम करने को लेकर एक बार फिर प्रेरित महसूस कर रही हूं. मैं V नहीं, बल्कि तीन अंगुली से साइन (जीत के लिए) दिखाऊंगी, क्योंकि मैं अकेले नहीं लड़ रही हूं. समसेरगंज और जांगीपुर में मेरे साथी भी लड़ रहे हैं और आराम से जीत रहे हैं.’
ये जो ‘ममता दीदी जी’ की जीत है
वही तो ‘सत्यमेव जयते’ की रीत है@MamataOfficial @AITCofficial— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) October 3, 2021
चुनाव आयोग के मुताबिक तृणमूल कांग्रेस राज्य की अन्य दो विधानसभा सीटों – समसेरगंज और जांगीपुर में भी आगे चल रही है. वहीं, ओडिशा के विधानसभा सीट पर भी सत्ताधारी पार्टी बीजू जनता दल (बीजेडी) के रूद्र प्रताप महार्थी अपने प्रतिद्वंदी भाजपा उम्मीदवार आश्रित पटनायक पर 14,000 से अधिक वोटों की बढ़त बनाए हुए हैं.
Odisha | Biju Janata Dal (BJD) candidate Rudra Pratap Maharathy is leading by a margin of 14,212 votes in Pipili Assembly by-poll after 13th round of counting, as per the Election Commission
(File photo) pic.twitter.com/g38lG82kub
— ANI (@ANI) October 3, 2021
भवानीपुर सीट पर तृणमूल कांग्रेस की बढ़त बढ़ने के साथ मुख्यमंत्री आवास के बाहर पार्टी समर्थकों का हुजूम को भी बढ़ते हुए देखा जा सकता है. किसी की झड़प की आशंका को दूर करने के लिए चुनाव आयोग ने तीन स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था का आदेश दिया है. इसके लिए केंद्रीय बलों की 24 कंपनिया लगाई गई हैं.
इससे पहले 2021 के विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम सीट पर नजदीकी मुकाबले में भाजपा के उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी के हाथों हार सामना करना पड़ा था. संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक विधानमंडल का सदस्य न होने पर मंत्री पद संभालने के छह महीने के भीतर निर्वाचित होना अनिवार्य है. ऐसा न होने पर संबंधित मंत्री को अपना पद त्याग करना पड़ता है.