अरब देश ट्यूनिशिया में पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में भूविज्ञान की प्रोफेसर नाजला बूदेन रमधाने नियुक्त की गई हैं. 68 वर्षीय बूदेन की नियुक्ति को लेकर जहां कुछ लोगों का मानना है कि वे ट्यूनीशिया और मध्य पूर्व में महिलाओं की प्रगति और सशक्तिकरण का प्रतीक बन सकतीं है. वहीं, कइयों को इस बात का डर है कि राष्ट्रपति कैस सईद नई पीएम के कम राजनीतिक अनुभव का गलत लाभ ले सकते हैं.
बूदेन साल 2011 के विद्रोह के बाद से ट्यूनीशिया की 10 वीं प्रधानमंत्री हैं. प्रधानमंत्री पद ग्रहण करने से पहले वे उच्च शिक्षा और वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्रालय में महानिदेशक थीं. लंदन स्थित थिंक टैंक चैथम हाउस में मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका कार्यक्रम की निदेशक लीना खतीब का मानना है कि सईद का प्रधानमंत्री के पद पर एक महिला को चुनना रणनीतिक कदम है.
عملا بأحكام الأمر الرئاسي عـدد 117 لسنة 2021 المتعلق بتدابير استثنائية وخاصة على الفصل 16 منه، كلّف رئيس الجمهورية #قيس_سعيد السيدة نجلاء بودن حرم رمضان بتشكيل حكومة، على أن يتم ذلك في أقرب الآجال. #TnPR pic.twitter.com/R2c5azSqhT
— Tunisian Presidency – الرئاسة التونسية (@TnPresidency) September 29, 2021
राष्ट्रपति कैस सईद को महिला अधिकारों का समर्थक नहीं माना जाता है. हाल ही में उन्होंने महिलाओं के उत्तराधिकार से संबंधित विधेयक को खारिज कर दिया था. फ्रैंकफर्ट विश्वविद्यालय के राजनीतिक मामलों की जानकार होदा सलाह ने डॉयचे वेले से कहा, ‘सईद बहुत ही रूढ़िवादी राजनेता हैं और एलबीजीटी समुदाय, मानवाधिकारों या युवा अधिकारों के खिलाफ हैं. इन सबके बावजूद यह वास्तव में महत्वपूर्ण है कि उन्होंने ट्यूनिशिया के प्रधानमंत्री के तौर पर एक महिला को मौका दिया है.’
बूदेन ऐसे समय प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त हुई हैं, जब ट्यूनिशिया राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है. इससे दो महीने पहले राष्ट्रपति सईद ने प्रधानमंत्री हिचिन मेशिशी को बर्खास्त कर संसद को भंग कर दिया था. इसके अलावा राष्ट्रपति को भी कोविड महामारी के प्रबंधन और नियंत्रण सहित कई मुद्दों पर आलोचना का सामना करना पड़ा है.
इन सब बातों के बीच ट्यूनिशिया के राष्ट्रपति ने एक वीडियो जारी कर कहा है कि देश के इतिहास में पहली बार एक महिला प्रधानमंत्री सरकार की अगुवाई करेंगी. उन्होंने यह भी कहा कि दोनों साथ मिलकर देश की चुनौतियों निपटने के लिए काम करेंगे.