खाड़ी देश कतर के पहले संसदीय चुनाव में मतदान जारी है. इस चुनाव में 26 महिला उम्मीदवार मैदान में हैं. डॉयचे वेले की रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव में उतरी इन महिलाओं की अपनी महत्वकांक्षाएं और योजनाएं हैं, जिन्हें वह धरातल पर उतारने को बेताब हैं.
इस बात को इससे भी समझा जा सकता है कि नामांकन के बाद केवल दो महिलाओं ने चुनावी मैदान से पीछे हटने का फैसला किया था. वहीं, ऐसा करने वाले पुरुषों की संख्या 53 है. इसके बाद शूरा काउंसिल की 30 सीटों के लिए कम से कम 26 महिलाओं सहित 284 उम्मीदवार मैदान में हैं. बाकी की 15 सीटों की नियुक्ति तमीम बिन हमद अल थानी करेंगे. माना जा रहा है कि कतर की संसद में महिलाओं की मौजूदगी से इस वर्ग के अधिकारों की रक्षा करने और उनके लिए फैसला लेने उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी.
Voters in #Qatar are going to the polls today to elect two-thirds of the Advisory Shoura Council in the Gulf state's first ever legislative election.
📸 pic.twitter.com/kvqXjtXsZs— Mete Sohtaoğlu (@metesohtaoglu) October 2, 2021
इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के सीनियक गल्फ एनालिस्ट एल्हम फाखरो ने इसे बहुत ही सकारात्मक कदम बताया है. हालांकि फाखरो का यह भी कहा कि केवल 28 महिलाओं को चुनावी मैदान में होने की वजह से इनके असर को लेकर पैदा हुई उम्मीदों को कम करना होगा.’
इन महिला उम्मीदवारों में से एक लीना अल-दाफा की मानें तो चुनावी मुद्दों में महिला शिक्षा, महिला शिक्षकों और कतर की महिलाओं के बच्चों के लिए नागरिकता शामिल हैं. उन्होंने आगे कहा, ‘एक देश अपने बच्चों की मदद से खड़ा हो सकता है, इसलिए मैं कतर के लोगों के लिए फैसला लेने वाली प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिए बतौर उम्मीदवार चुनावी मैदान में हूं.’ वहीं एक अन्य महिला उम्मीदवार अल महा जसीम अल मजीद ने खुद के चुनावी अभियान में महिलाओं के लिए विधायिका और कार्यपालिका में आरक्षण की मांग को सबसे ऊपर रखने की बात कही है.