राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने कहा कि उन्हें इस बात का गर्व है कि बिहार की धरती विश्व के प्रथम लोकतंत्र की जननी रही है. गुरुवार को पटना में बिहार विधानसभा के शताब्दी वर्ष समारोह में उन्होंने कहा, ‘भगवान बुद्ध ने विश्व के शुरुआती गणराज्यों को प्रज्ञा और करुणा की शिक्षा दी थी. साथ ही, उन गणराज्यों की लोकतांत्रिक व्यवस्था के आधार पर भगवान बुद्ध ने अपने संघ के नियम निर्धारित किए थे.’ राष्ट्रपति ने आगे यह भी बताया कि संविधान सभा के अपने अंतिम भाषण में डॉ. भीमराव आंबेडकर ने यह साफ किया था कि बौद्ध संघों के अनेक नियम आज की संसदीय प्रणाली में भी मौजूद हैं.
गांधीजी के सिद्धांतों पर आधारित इस संवैधानिक अनुच्छेद को बिहार विधान सभा द्वारा कानून का दर्जा देकर लोक-स्वास्थ्य तथा समाज, विशेषकर कमजोर वर्ग की महिलाओं के हित में, एक बहुत कल्याणकारी अधिनियम बनाया गया। उस अधिनियम को कानून का दर्जा प्रदान करने का अवसर मुझे मिला था। pic.twitter.com/hj6SEqiZ5B
— President of India (@rashtrapatibhvn) October 21, 2021
वहीं, भारतीय संविधान के निर्माण में बिहार के लोगों के योगदान के बारे में राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान सभा में बिहार की लोगों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्होंने कहा, ‘संविधान सभा के वरिष्ठतम सदस्य डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा प्रथम अध्यक्ष के रूप में मनोनीत हुए और 11 दिसंबर 1946 को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद संविधान सभा के स्थायी अध्यक्ष चुने गए.’
गांधीजी के सिद्धांतों पर आधारित इस संवैधानिक अनुच्छेद को बिहार विधान सभा द्वारा कानून का दर्जा देकर लोक-स्वास्थ्य तथा समाज, विशेषकर कमजोर वर्ग की महिलाओं के हित में, एक बहुत कल्याणकारी अधिनियम बनाया गया। उस अधिनियम को कानून का दर्जा प्रदान करने का अवसर मुझे मिला था। pic.twitter.com/hj6SEqiZ5B
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राष्ट्रपति ने आगे बताया कि संविधान सभा में अपना बहुमूल्य योगदान देने वाले बिहार की अन्य विभूतियों में अनुग्रह नारायण सिन्हा, कृष्ण सिन्हा, दरभंगा के महाराजा कामेश्वर सिंह, जगत नारायण लाल, श्याम नंदन सहाय, सत्यनारायण सिन्हा, जयपाल सिंह, बाबू जगजीवन राम, राम नारायण सिंह और ब्रजेश्वर प्रसाद शामिल थे. रामनाथ कोविन्द ने कहा कि सामाजिक और आर्थिक न्याय, स्वतंत्रता, समता और सौहार्द की आधारशिला पर निर्मित हमारा लोकतंत्र प्राचीन बिहार के लोकतांत्रिक मूल्यों को आधुनिक कलेवर में समेटे हुए फल-फूल रहा है. राष्ट्रपति ने इसका श्रेय बिहार की जनता और उनके निर्वाचित प्रतिनिधियों को दिया.
जब भारत की संविधान-सभा द्वारा हमारे आधुनिक लोकतंत्र का नया अध्याय रचा जा रहा था तब एक बार फिर बिहार की विभूतियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। pic.twitter.com/9Q3XsQ9UsU
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